यह अक ऐसा उपकरण हैं जिससे कपड़ो को सिला जाता हैं यह अन्य प्रकार की कढाई और बुनाई के भी काम आती हैं, यह लगभग 500 से अधिक प्रकार की अलग अलग कार्यो और क्षमता के अनुसार उपलब्ध हैं, जिनके सहायता से भिन्न भिन्न प्रकार के वस्त्रो को सिला और उनपर मनचाहा सिलाई की जाती हैं!
कपड़ा सिलने , चमड़ा सिलने , बटन टाकने , कढाई करने , आदि की अलग अलग मशीन आती हैं हरेक मशीन का अलग उपयोग और महत्वा होता हैं !
मुख्यतः मशीन दो प्रकार की होती हैं घरेलू व् उद्योगिक , ए मशीने हाथ से पैर से या फिर बिजली (electric) पर चलाई जाती हैं!
सिलाई मशीन के विभिन्न भाग :-
बाबिन: यह एक छोटा मेटल होता हैं, जो निचे की ओर से आने वाले धागे को पकड़ने का काम करता हैं !
बाबिन केस: यह एक मेटल केश हैं जो बाबिन को पकड़ता हैं जिसमे एक टेंशन स्प्रिंग हैं जो बाबिन केश पर प्रेसर को नियंत्रित करता हैं
बाबिन बाइंडर: यह बाबिन पर धागे को लपेटने का काम करता हैं
प्रीड डांग : यह प्रेशर फूट में लगा होता हैं इसमें दात होते हैं जो सिलाई के वक्त कपडे को आगे की और निकालता हैं !
हेन्डील व्हील :यह मशीन की दाहिनी ओर लगा होता है याह घरेलू मशीन में हात या पैर या मोटर पर भी काम करता है
नीडल वार : इसमें सूई लगाई जाती हैं !
प्रेशर वार लिफ्टर ; यह प्रेशर वार से जुड़ा लीवर हैं जो प्रेशर फुट को ऊपर या निचे करने का काम करता हैं !
प्रेशर फुट ; यह सिलाई करते समय कपड़ो को पकड़ता हैं इसको हटाया भी जा सकता हैं अलग अलग कामो के लिए अलग अलग प्रेशर फुट लगाए जाते हैं जिसे कढाई करने के लिए कढ़ाई का फुट लगाया जाता हैं तथा पिकू और साडी फाल क लीय पिकू का फुट लगाया जाता हैं और पिकू के लिए अलग फूट लगाया जाता हैं
टेंशन रेगुलेटर (कसाव नियंत्रण) : यह उपरी धागों को तथा सिलाई को कण्ट्रोल करता हैं! यह धागों को टेंशन के स्प्रिंग तथा नट के आधर पे नियंत्रित करता हैं और अर्जेस्ट करता हैं!
थ्रेड टैग अप लीवर : यह लीवर बाल हैं जो की टेंशन रेगुलेटर को ऊपर निचे मूभ करता हैं, इसमें एक सूराख होता हैं जिसमे से धागा गुजरता हैं यह सूई को धागा देता हैं तथा बनाय गए धागे की गाठ को टाइट करता हैं तथा इसको लॉक करदेता हैं !
1 Comments
Silai kaa tarikaa ?
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